मूलाधार चक्र
आपका हृदय से बहुत बहुत स्वागत हैं मेरे इस अध्यात्मिक जगत के लेख में। आप कुशल मंगल होंगे यही कामना करती हूँ।आज मैं आपके सामने फिर एक नए विषय पर चर्चा करने आयी हूँ और आशा करती हूँ की आपको इस विषय में रूचि लगे खैर ये विषय कोई रूचि लेने जैसा नहीं हैं, पर ये एक ज्ञान हैं जो शायद ही कोई इतने विस्तार से आपको बताएगा।आज में कुण्डलिनी शक्ति के पहला चक्र मूलाधार चक्र पर बात करुँगी और हम इस चक्र के फायदे और नुकसान जानेंगे।
मूलाधार चक्र जागने के फायदे
- इस चक्र के जागरूक होते ही बाहर के ऊपरी बाधाओं से सुरक्षा मिलती हैं।
- काला जादू , तंत्र बाधा और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा मिलती हैं।
- प्रार्थना करने और जीवन में प्रार्थना पकड़ कर रखने की क्षमता मिलती हैं।
- किसी भी प्रकार का भय हो ख़तम या फिर बहुत हद तक काम हो जाता हैं।
- साधना में शीघ्र ही सफलता प्राप्त होती हैं।
- अष्ट सिद्धि प्राप्त होने लगती हैं।
- शरीर से सुगंध प्रवाह होने लगता हैं, पसीने की बदबू नहीं रहती।
- चेहरे पर तेज निखरने लगता हैं।
- बालों में चमक आने लगती हैं और बालों की समस्या दूर होने लगती हैं।
- निरोगी काया बनने लगती हैं, और शरीर स्वस्थ रहने लगता हैं।
- समस्या चाहे जैसी भी हो निवारण मिलने लगते हैं।
- देवी देवता के दर्शन होने लगते हैं, और ध्यान करने की क्षमता बढ़ने लगती हैं।
- जीवन के लक्ष्य समझने लगते हैं, मन शांत और स्तिर रहने लगता हैं।
- धन या कोई भी बात को पकड़ के रखने की क्षमता आ जाती हैं।
- वासना पर विजय प्राप्त होती हैं ,प्रेम की अनुभूति होने लगती हैं।
- सभी जिव एक समान दिखने लगते हैं।
- कामवासना का सही अर्थ और आनंद समझने लगता हैं।
- आपके काम अपने आप बनने लगते हैं, आपका दूसरों पर दबदबा होने लगता हैं।
- आप अंदर से शांत होते हैं किन्तु बहार से दूसरों को आप उग्र दिखने लगते हैं।
- मारण, मोहन, वश्यं अपने आप ही करने की क्षमता आने लगती हैं।
- बातों को गहराई से समझने लगते हैं।
- गुप्त अंग के रोग या समस्या समाप्त होते हैं।
- भगवान की कृपा होने लगते हैं और भाग्योदय होने लगता हैं।
मूलाधार चक्र बंद होने के नुकसान
- हरदम बेचैनिसि और अजीब सी घबराहट रहती हैं।
- अज्ञात भय रहता हैं और अनावश्यक भय बना रहता हैं।
- शर्मीले स्वाभाव में ही रहते हैं खुल कर बात नहीं करनी आती।
- हर तरफ नुकसान ही झेलनी पड़ती हैं।
- पूजा पाठ में मन नहीं लगता ,हर वक़्त आलस्य बना रहता हैं।
- देवी देवता रुष्ट हो जाते हैं ,इसलिए कोई भी प्रार्थना सफल नहीं हो पाती।
- तंत्र बाधा ,और नज़र दोष बार बार होती रहती हैं।
- आये दिन कोई न कोई बीमारी से लिपटे रहते हैं।
- मन अशांत और अस्तीर रहता हैं इसलिए ध्यान भी नहीं लगता हैं।
- अपमान और दरिद्रता झेलनी पड़ती हैं।
- गुप्त अंग के रोगों से आप घेरे रहते हैं।
- जंतू संक्रमण, गुप्त रोग, एड्स, पैर कमज़ोर रहना, मानसिक बीमारी, कमर में हमेशा दर्द रहना, हड्डियों की समस्या, शरीर कमज़ोर रहना, त्वचा रोग होना, बालों का झड़ना, चिड़चिड़ापन रहना किडनी की समस्याए बनी रहना गँठियाँ के रोग होना नसों की समस्या, मोटापा, सूजन ,भूंख न लगना ,भूख न रहना और भी कुछ हैं.
- क्यूँकि हमारी किडनी के ऊपर एक ग्रंथ हैं जिसका नाम एड्रेनल ग्रन्थ हैं जो हमारी भावनाओं को वश में रखता हैं और ये हमारी पृथ्वी तत्त्व को मजबूत रखता हैं शक्ति को संचार करना और शक्ति को पकड़ के रखना इसी का कार्य होता हैं।
- इसलिए इसके सम्बन्ध में समस्या होगी वो मूलाधार के वश में होगी।
- अकेलापन और उदास बने रहना हर काम में निराशा हाथ लगना।
- आपका शरीर निस्तेज और कमज़ोर बल और बनी रहती हैं।
- क्रोध, संताप, लालच, अपराध करने का भाव ये सब नुकसान झेलने पड़ते हैं।
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