आपका बहुत बहुत स्वागत हैं मेरे आध्यात्मिक जगत के लेख में।आप जो इतने प्यारसे और अपना कीमती समय निकलकर मेरे इस लेख पर रुकते हैं ये मेरे लिए आपका सम्मान और प्यार हैं जिसके लिए मैं दिल से धन्यवाद् करती हु और मैं आपसे वादा करती हूँ की आपकी ऐसे ही मैं अपने ज्ञान और अनुभव से आपके जीवन का अंधकार दूर करने की कोशिश करुँगी।आपका प्यार और साथ हमेशा मेरे साथ बनाये रखिये आप मेरे साथ जुड़े रहिये और अपनी समस्या का निवारण लेते रहिये।मुझे विश्वास हैं की आप कुशल मंगल होंगे भगवान आप पर और आपके अपनों पर प्रेम ,आशीर्वाद और कृपा बरसाएं।आज मैं आपके लिए एक और नया विषय लेकर आयी हूँ जो मूलाधार चक्र से सम्बंधित हैं पिछले लेख में हमने इस चक्र का वर्णन और फायदे नुकसान जाने थे और भी बहुत कुछ जाना था।आज हम इस चक्र को जगाने की विविध प्रकार की विधियाँ जानेंगे और ये भी की क्या कौनसी ऐसे बातें हैं जो मूलाधार चक्र को जगाने में मददगार होती हैं।
मूलाधार चक्र जागरण की विधियाँ -२
नवंबर 15, 20205 minute read
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यहाँ आपको कुछ करने की ज़रूरत नहीं हैं बस कम्बल के आसन पे बैठ जाना हैं या खुर्ची पे बैठ जाना हैं।कोई भी दिशा और आपके सुविधा अनुसार समय निर्धारित करले और ध्यान लगाना हैं ,आप ये ध्यान खुली हवा में या फिर किसी शांत कमरे में बैठकर कर सकते हैं।इसमें 'लं ' मंत्र का जाप करना हैं और ये सोचना हैं की सब जगह लाल रंग से भरा हुआ हैं मतलब मनन करना हैं कम से कम १/२ घंटा ये आपको रोज़ करना हैं बिना चुके।आप मेरे पिछले लेख पे जाके पढ़ सकते है जहाँ मैंने पूर्ण विस्तार से बताया हैं की ध्यान के नियम और ध्यान के निर्देश क्या हैं आपको उस लेख में मार्गदर्शन हो जायेगा। फिर आगे क्या होता हैं की धीरे धीरे आप महसूस करेंगे की आपके चक्र व्हायब्रेट हो रहें हैं।आपको बार बार पेशाब की समस्या हो सकती हैं उलटी जैसा मन करेगा ,बुखार भी आ सकता हैं और चक्कर भी और आपकी कामवासना भी बढ़ जाएगी पर आपको अपने मन पर काबू पाना हैं किसी भी हाल में ब्रह्मचर्य तोडना नहीं हैं चाहे कैसी भी हालत हो। ये इसलिए होगा ताकि आपकी ऊर्जा अब ऊपर की ओर उठ रही हैं और ये आपके पूर्वजों की विरासत से आपके खून में आये हुए डीएनए क्लींजिंग हो रही हैं।इसलिए आपकी अलग अलग परीक्षाएं भी होंगी।जैसे आपके पूर्वजों में कोई कमियां या कोई गुनाह किये होंगे तो वो सब आपके डीएनए क्लींजिंग में होंगे। आपके चक्रों के ऊपर जितने भी जन्मों की प्रतिया चढ़ी होंगी वो सब एक एक करके उतरेंगे। फिर आपको हल्का सा महसूस होगा कुछ दिनों बाद आप देखेंगे की आपको अब डर भी नहीं लगता।महादेव कहते हैं साधक ने हमेशा वही चीज़ का सामना करना चाहिए जिससे वो डरता हैं भागता हैं या फिर उसकी जो कोई कमज़ोरी हैं ऐसा करने से वो एक दिन अपने कमियों पे जीत हासिल कर ही लेता हैं, और उसके अन्य चक्र भी जागरूक हो जाते हैं।मेरी मनो तो डर बस हमरा विचार होता हैं और कुछ भी नहीं पर हमारा मन तो हमारे हाथ होता हैं तो इसे कैसे संभालना हैं ये आपको सोचना चाहिए क्यूँकि ये कही शरीर से बहार नहीं जाता फिर क्यूँ सुने इसकी। दिल की आत्मा की सुननी चाहिए क्यूँकि आत्मा की आवाज़ ही परमात्मा की आवाज़ होती हैं।
ये भी एक ध्यान का प्रकार है इसमें आपको लेटना पड़ता हैं और पूरा ध्यान संगीत की धुन पर, शरीर के अंग पर या फिर गुरु के आवाज़ और शब्दों पर केंदरीत करना पड़ता हैं इसे एक प्रकार से रेकी भी कहते हैं, जो किसी खास उपचार के लिए भी प्रयोग किया जाता हैं।इसे साउंड थेरेपी पे भी ध्यान किया जाता हैं।इसमें आपको बस लेटना पड़ता है आपके पुरे शरीर के अंग - अंग को ढीला कर देना पड़ता हैं और कोई भी शरीर का अंग किसी अंग से चिपके न रखे ,हथेली का नरम भाग ऊपर की ओर करके लेटे पैर खुले रख क लेटे और कमरे में कम रोशनी वाली लाल बल्ब का इस्तेमाल करें और ध्यान रखे की रूम में शांति हो।ये योग निद्रा अक्सर रातों को सोते वक़्त किया जाता हैं।याद रहे की इसमें आपको सोना नहीं हैं बल्कि पुरे अंदर तक उतरना हैं शरीर का कोई भी अंग हिलना नहीं पड़ता और पूरा ध्यान निर्देश पर करना पड़ता है।हम अगर कुछ हासिल करना चाहे तो ये ध्यान सबसे सटीक बेहतरीन और सरल हैं और इसके फल भी जल्द प्राप्त होते हैं।इसे हम अफर्मेशन डालना भी कहते हैं।अफर्मेशन मतलब दृढ़ कथन ,अभिपुष्टि ,समर्थन जो की हम अगर कुछ पाना चाहते हैं तो हम हमरे दिमाग का रिप्रोग्रम्मिंग करते हैं और हम देखते हैं की चीज़े वहीँ हो रही हैं।
तो ये दो ध्यान के प्रकार थे और यही मूलाधार चक्र जागरण की विधियाँ भी और भी वैसे कुछ विधियां है जैसे की आप इसी के पिछले लेख पर जायें और वहाँ मूलाधार चक्र जागरण विधियां -१ वो भी पढ़िये आप सब जान जाओगे। आप अन्य चक्र भी इसी ध्यान के माध्यम से खोल सकते हैं।आपको कौनसी ध्यान विधि सरल और अच्छी लगी उस प्रकार से आप ध्यान विधि अपना सकते हैं।
तो यह थी जानकारी मुझे विश्वास हैं की आपको इस लेख में बहुत सारी जानकारी प्राप्त हुई हैं।अगले लेख में और भी ज्ञान को आपके साथ साँझा करुँगी उस लेख में हम मूलाधार चक्र को जगाने और संतुलन रखने के लिए कोनसे और उपाय हैं वो जानेंगे। अब मैं अपने वाणी को विराम और आपके कीमती समय को प्रणाम करते हुए फिर आपसे मिलने की आज्ञा चाहती हूँ ,तब तक आप अपना और अपनों का ख्याल रखे मिलती हूँ अगले लेख में तब तक आप भी ध्यान कीजिये और आनंद में रहिये। आप सभी पर प्रभु की कृपा हो आपके घर में बरकत रहे और आपका जीवन आबाद रहें।