आपका बहुत बहुत स्वागत हैं मेरे आध्यात्मिक जगत के लेख में।आप जो इतने प्यारसे और अपना कीमती समय निकलकर मेरे इस लेख पर रुकते हैं ये मेरे लिए आपका सम्मान और प्यार हैं जिसके लिए मैं दिल से धन्यवाद् करती हु और मैं आपसे वादा करती हूँ की आपकी ऐसे ही मैं अपने ज्ञान और अनुभव से आपके जीवन का अंधकार दूर करने की कोशिश करुँगी।आपका प्यार और साथ हमेशा मेरे साथ बनाये रखिये आप मेरे साथ जुड़े रहिये और अपनी समस्या का निवारण लेते रहिये। मुझे विश्वास हैं की आप कुशल मंगल होंगे भगवान आप पर और आपके अपनों पर प्रेम ,आशीर्वाद और कृपा बरसाएं। आज मैं आपके लिए एक और नया विषय लेकर आयी हूँ जो मूलाधार चक्र से सम्बंधित हैं पिछले लेख में हमने इस चक्र का वर्णन और फायदे नुकसान जाने थे और भी बहुत कुछ जाना था। आज मूलाधार चक्र को जगाने की विविध प्रकार की विधियाँ जानेंगे और ये भी की क्या कौनसी ऐसे बातें हैं जो मूलाधार चक्र को जगाने में मददगार होती हैं।
त्राटक ध्यान
- एक कोई भी खाली कक्ष चुन ले जहाँ कोई आता जाता न हो या फिर आपको कोई ज्यादा परेशान न करता हो।
- कमरा साफ़ सुथरा और सुगन्धित हो।
- कमरे में शुद्ध वातावरण के लिए आप धुप या अगरबत्ती जलाके रखदे , इससे आपका मन शांत और प्रसन्न रहेगा।
- कोई भी आसन लेले ,या आप जिस पर साधना करते हैं वो लेले या फिर कोई भी कम्बल का आसान ले एक मोमबत्ती या दिया जलाले।
- साफ़ सुथरे और ढीले ढाले वस्त्र पहन ले।
- कमरे में थोड़ा अँधेरा करले इतना की थोड़ी धीमी सी रौशनी भी अंदर रहे।
- पंखा और बत्ती बंद ही रखे।
- अगर निचे बैठने में तकलीफ हैं किसी कारणवश तो आप खुर्ची या पलंग पर बैठ कर भी त्राटक ध्यान कर सकते हैं।
- अगर आपके गुरदेव हैं तो पहले एक माला उनका मंत्र जाप करें और उनसे आज्ञा ले आशीर्वाद ले और अपनी सुरक्षा की भी प्रार्थना करें।
- सुरक्षा घेरा बना ले गुरुमंत्र से या फिर अगर आपके गुरु नहीं तो आप महादेव या फिर जो भी आपके इष्ट देवता हैं तो उनका मंत्र १०८ बार जाप ले और बुभुति या पीली सरसों की दाल हाथ में लेकर आपके गुरु मंत्र का या फिर इष्ट मंत्र का १०८ बार जाप करले और अपने चारों ओर गोलाकार में ये विभूति या सरसों की पीली दाल से गोलाकार सुरक्षा कवच बनाले।
- आप चाहे तो हनुमान चालीसा भी पढ़ सकते हैं ये वो लोग करे जिनके कोई गुरु नहीं हैं।
- अब आप एक समय निर्धारित कर लिजिए की किस समय आप ध्यान करने बैठेंगे ? ऐसा इसलिए की इससे आपकी ऊर्जा उस समय में आपके मष्तिष्क को तैयार करती हैं ये एक प्राकृतिक सन्देश देती हैं। इसलिए समय ,आसन ,दिशा और मंत्र एक ही होना चाहिए।
- थोड़ा प्राणायाम करले अनुलोम - विलोम और भस्त्रिका।अगर आपका निम्न रक्तचाप ( बी.पी. लौ) रहता है तो भस्त्रिका न करे। सिर्फ अनुलोम - विलोम और दीर्घश्वासन ही करें।
- मोमबत्ती या जलता दिया एकदम नज़रों के सामने रखे न ऊपर न निचे रखे ,शुरुवाती दिनों में आप सिर्फ १० -१५ मि तक एकटक दिये या मोम के लौ रौशनी को देखते रहिये।
- आपकी आँखों से पानी आने तक देखते रहिये फिर थोड़ी देर आँखे बंद करले फिर यही प्रक्रिया दोहराइये.
- धीरे धीरे आप अपना ध्यान का समय बढ़ा देना, आँखों पर ज़्यादा तान मत दीजियेगा इससे आपकी आँखो की रोशनी भी जा सकती हैं।
- इसलिए इस त्राटक ध्यान को निर्देशक के अनुसार ही करें।जल्दबाज़ी न करें।
- कुछ दिन के बाद आपको वो रोशनी दिखना बंद होगी, रोशनी देखते ही देखते आएगी और फिर गायब हो जाएगी ,मगर घबराये नहीं वो बस आपके मन का खेल होगा जो आपको सिर्फ और सिर्फ डरायेगा आपको हिम्मत रखनी हैं घबराये नहीं।
- आपको ऐसा महसूस होगा जैसे कमरे में कोई आपके अलावा भी हैं मगर आपको ध्यान नहीं देना हैं आप अपने त्राटक को करते रहना हैं उठना नहीं हैं जब तक आपका ध्यान पूरा नहीं होता।
- आप चाहें तो त्राटक करते करते मन में आपके गुरु मन्त्र या इष्ट देवता का मंत्र जाप कर सकते है।
- त्राटक से पहले और बाद में गुरु मंत्र ,इष्ट देवता मंत्र या हनुमान चालीसा पढ़ सकते हैं
- इससे आपको सुरक्षा मिलती रहेगी ,और आपका दर भी आप पे हावी नहीं होगा।
त्राटक विधि २
- जैसी पहली विधि है बस वैसी है ,बस आपको एक कोरा कागज़ लेना हैं उस पर एक काले या लाल कलम से एक बड़ा सा गोलाकार बनाना हैं फिर उसे पूरा लाल या काले कलम से रंग देना हैं मतलब पूरा गोलाकार भर देना हैं।
- ध्यान रहें की उस गोलाकार के बहार स्याही न जाये।
- उस कागज़ को अपने सामने दीवार पे चिपका दे निचे भी नहीं और ऊपर भी नहीं आपके गर्दन के एक रेशा में ही चिपकाना हैं ठीक आपके आँखों के सामने फिर उसे भी एक टक देखते रहना हैं।
- ऐसा रोज़ १/२ घंटा या उससे भी ज़्यादा समय तक त्राटक करना हैं।
- आँखों का ख्याल रखें या फिर डॉक्टर से परामर्श लेकर ही करें।
- आपको वही अनुभूति होगी ध्यान रखिये अलग अलग साधक के अलग अलग अनुभव होते हैं किसी किसी को नहीं भी होते हैं इसलिए आप चिंता न करें।
- आँखों से पानी आता रहेगा शुरुवाती दिनों में पर आपको ध्यान छोड़ना नहीं हैं हाँ , अगर आपके आँखों में जलन या दर्द कर रही हैं तो रुक जाइये जब आँखे ठीक होंगी तब करना ज़रूर।
- आपको अंतर नहीं देना हैं ध्यान करते रहना हैं।
- आप देखेंगे की आपका ध्यान भी लग रहा हैं और अलग अलग अनुभव भी होंगे पर आपको किसी से इस बारे में बात करने की ज़रूरत नहीं।
- पर यदि आपको कोई भी परेशानी हैं तो आप किसी एक्सपर्ट से बात कर सकते हैं।
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