आपका बहुत बहुत स्वागत हैं मेरे आध्यात्मिक जगत के लेख पर। मुझे विश्वास हैं की आप सब कुशल मंगल होंगे सबसे पहले आपका बहुत बहुत धन्यवाद् आप अपना किंमती समय निकलकर मेरे इस लेख पर आयें और आपका प्यार दर्शाया। तो पिछली दो लेख में हमने ध्यान क्या हैं ? क्यों करना चाहिए ? और क्या नियम हैं ? ध्यान की क्या क्रिया हैं ? आज हम जानेंगे की ध्यान के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ? जिससे की आपको ध्यान करते वक़्त परेशानियों का सामना न करना पड़े।
आवश्यक निर्देष
- शुरूवाती दीनों मे कभी भी बाहर वातावरण के आवाज़ों या गतिविधि पर ही ध्यान करे।
- अपने शरीर पर ध्यान करे।
- अपनी प्राण उर्जा को शरीर मे महसूस करे।
- अपने भीतर मूड कर सबसे पहले मूलाधार चक्र पर ध्यान करे।
- कभी भी शुरूवात मे सीधा आज्ञा चकरा (तिसरी आँख) दोनों भुवायें के बीच माथें पर ना करे।
- ध्यान मे बैठने से पहले आपका पेट खाली होना चाहिए।
- अगर ज़्यादा भूखे हो तो ध्यान ना करे इससे आपको परेशानी हो सकती है।
- खाना खाने के 1½ या 2 घंटे बाद ही ध्यान मे बैठे, जिससे की आपको भूक भी न रहे और आपका पेट भी भरा रहे।
- जब आप स्वस्थ हो तभी ध्यान करे।
- ध्यान मे कभी भी बैठने से पहले तोड़ा योगासन और कुछ प्राणायाम कर ले।
- इससे आपको ध्यान मे बैठने की सरलता आएगी।
- पैर भारी हो सकते है ,चीटियाँ जैसा महसूस हो सकता है या पॅरेलाईझ्ड हो गये है ऐसा लग सकता है, पर आपको उठना नही है ध्यान से।पैर धीरे धीरे स्तिर हो जायेंगे।
- ध्यान का समय रोज़ थोड़ा थोड़ा बढ़ायें।
- ध्यान रखे की अगर आपकी सोचने की क्षमता अच्छी है तो आपका ध्यान सहजता से घटीत हो जाता है।
- ध्यान हमेशा हमारी सोचने की क्षमता पर होती है।
- ध्यान के बाद कभी भी आँखें खोलने की जल्दबाज़ी ना करे किसी से बातें या वास्तु को स्पर्श ना करे अथवा तुरंत उठ कर आसन छोड के ज़मीन पर पैर ना रखे।
- ध्यान ख़तम होने के बाद आप धीरे धीरे आँखें खोले और आसन पर ही खड़े रहकर थोड़ा हलचल कर ले, पैर अगर भारी हुए होंगे तो पहले नॉर्मल होने दे।
- ध्यान के बाद कम से कम 10-15 मीं तक आसन से ना उतरे पहले खुद को नॉर्मल करे फिर आसन से उतरे।
- क्यूँकि हमारे अंदर जो उर्जा भरी होती है जिसे कॉस्मिक एनर्जी कहते हैं वो ब्रह्माण्ड से शरीर में उसे स्तीत होने मे थोड़ा समय लगता है।
- अगर आप ध्यान के बाद तुरंत किसी से बात, वस्तु को स्पर्श, ज़मीन पर पैर रखना या दीवार को हाथ लगाना, अथवा पानी पी लेने से आपके अंदर की उर्जा उसमे चली जाती है, इसलिए ऐसी चूक न करें।
- ध्यान के बाद कभी भी चप्पल पहने, इससे आपकी उर्जा आपके अंदर ही रहती है।
- आपको बुखार या कुछ शारीरिक कष्ट हो सकते है इससे आप पूर्ण रूप से आराम करे, पर कोई दवाई औषध नही खानी है।
- बहुत ज़रूरी हो तभी एक या 2 दिन दवाई ले सकते है पर ये ज़्यादा हार्ष वाली औषध ना हो।
- मैं आपको इस उर्जा को सहन करे ऐसा कहूँगी क्यूँकि ये एक अच्छे लक्षण है।
- ज़्यादा उर्जा महसूस होने के बाद आप अपनी उर्जा अपने क्रियेटिव साईड मे लगा लीजिए जैसे की गायन, नृत्य, वादन, चित्रकला,कविता लिखना ,खेल -कूद या कोई भी बातों मे अपनी उर्जा लगा दे।
- हो सके तो ज़्यादा से ज़्यादा मौन रहने की कोशिश करें।
- बोलना ज़रूरी हो तो आवश्यक ही जितना बोले, व्यर्थ ना बोले इससे आपकी उर्जा नीचे की और जा सकती है।
- पूर्ण नींद ले, और हमेशा अपने आपको सकारात्मक सोच मे रखने का प्रयास करे आनंदित रहने की कोशिश करे।
- आस पास चल रही बातों पर ध्यान देने की कोशिश करते रहे इससे आपका ध्यान बढ़ सकता हैं।
- याद रहे ध्यान सिर्फ़ बैठने की क्रिया नही होती। ध्यान अर्थ मे किसी भी बातों पर ध्यान करने से भी ध्यान बढ़ता है, पर यदि आप अपने अंदर और जीवन में स्तिरता चाहते है तो आप बैठने की क्रिया कर सकते है।पहले मन को स्तिर करे तभी तो बाहर के किसी भी बातों पर ध्यान केंद्रित हो सकता हैं।
अगर आप इन सभी बातों का ध्यान रखेंगे तो आप एक दिन अपने मंज़िल तक पहुच जाएँगे।आप बस धैर्य बनाए रखे और विश्वास रखिए अपने आप और अपने गुरु, ईष्टदेवता पर।उनकी कृपा हुई तो उस दिन आपका जीवन बदलने मे देर नही लगेगी।बस आप मेहनत करे लेश मात्र भी संशय ना करे। आप मेरी पहले के दो लेख पढ़िए उसमे एक सच्चाई बताई है जैसे की अध्यात्म परिचय और अखंड आनंद । तो अब मैं अपने वाणी को विराम और आपके किंमती समय को प्रणाम करते हुए आपसे विदा लेती हूँ और अगली लेख में आपसे फिर मिलने की इच्छा रखती हूँ। तब तक आप भी देखिये कही ध्यान करने के लिए कोई चूक तो नहीं हो रही हैं आपसे ? आप भी सावधानियां बरतिए और ध्यान कीजिये आप सब स्वस्थ रहें और आंनदित रहिये।आप सभी पर प्रभु की कृपा हो आपके घर में बरकत रहें और आपका जीवन आबाद रहें।
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