आपका बहुत बहुत स्वागत है मेरे अध्यात्मिक जगत के लेख पर. सबसे पहले आपका हृदय से धन्यवाद करती हूँ कि आज आप मेरे लेख पर अपना किंमती समय निकाल कर आए. मुझे विश्वास हैं की आप सब कुशल मंगल होंगे। आशा करती हूँ की मैं आपकी जिज्ञासा को शांत कर रही हूँ अपने महत्व पूर्ण ज्ञान से। तो आज हम ध्यान के नियम और ध्यान क्रिया ये सब बातें इस लेख मे जानेंने।और अगली लेख में ध्यान के फायदे जानेंगे
ध्यान के नियम.
आपको ध्यान करने के लिए कुछ अनिवार्य बातों का पूर्ण रूप से नियम बना लेना है. वैसे देखा जाये तो ध्यान के कोई नियम नहीं होते हैं इसमें सिर्फ आँखे बंद करके अपने श्वाँस को महसूस करना पड़ता हैं पर ये विधि इसलिए भी हैं की इससे आपकी कुण्डलिनी शक्ति भी जागरूक होती हैं। 'स्वामी विवेकानंद ' कहते थे की "अगर एक दिशा एक समय एक तरीका और एक ही आसन में अगर हम ध्यान करे तो इसके अच्छे और चमत्कारिक परिणाम बहुत जल्द प्राप्त होते हैं।" तो किन बातों का और नियम का पालन करना हैं हमें जानते हैं आगे।
1. ध्यान के लिए दिशा चुने.
2. ध्यान के लिए बैठने का आसन ले, आसन
कंबल का हो तो बहुत अच्छा।
3. ध्यान के लिए समय निर्धारित कीजिए।
4. गुरु मंत्र या आपके इष्ट देव का मंत्र ले।
5. ध्यान के लिए स्वच्छ और शांति पूर्ण जगा चुने।
6. ध्यान के लिए खाली पेट रहे।
7. ध्यान के लिए मन मे संकल्पना करे,
कम से कम 21 दिन या उस से भी आपकी यथा
शक्ति से संकल्प ले की कितने दिनतक आप ध्यान करना चाहते है. २१ दिन इसलिए क्यूँकि हमारे ७ शरीर होते हैं और ऊर्जा को एक शरीर में जाने के लिए ३ दिन लगते हैं इसलिए ३*७ =२१ होते हैं तभी हमे चमत्कारिक अनुभव प्राप्त होते हैं और ध्यान भी सहज हो जाता हैं अब ये आपके इच्छा शक्ति और सोच पर हैं।
8. स्वच्छ, धुले और साफ सुथरे कपड़े पहने।
9. आवश्यक अनुसार धूप या दिप जला ले।
10. कोई भी साफ कपड़े की पट्टी बना ले
आँखों पर बंधने के लिए।
1. ध्यान के लिए दिशा चुने.
2. ध्यान के लिए बैठने का आसन ले, आसन
कंबल का हो तो बहुत अच्छा।
3. ध्यान के लिए समय निर्धारित कीजिए।
4. गुरु मंत्र या आपके इष्ट देव का मंत्र ले।
5. ध्यान के लिए स्वच्छ और शांति पूर्ण जगा चुने।
6. ध्यान के लिए खाली पेट रहे।
7. ध्यान के लिए मन मे संकल्पना करे,
कम से कम 21 दिन या उस से भी आपकी यथा
शक्ति से संकल्प ले की कितने दिनतक आप ध्यान करना चाहते है. २१ दिन इसलिए क्यूँकि हमारे ७ शरीर होते हैं और ऊर्जा को एक शरीर में जाने के लिए ३ दिन लगते हैं इसलिए ३*७ =२१ होते हैं तभी हमे चमत्कारिक अनुभव प्राप्त होते हैं और ध्यान भी सहज हो जाता हैं अब ये आपके इच्छा शक्ति और सोच पर हैं।
8. स्वच्छ, धुले और साफ सुथरे कपड़े पहने।
9. आवश्यक अनुसार धूप या दिप जला ले।
10. कोई भी साफ कपड़े की पट्टी बना ले
आँखों पर बंधने के लिए।
ध्यान क्रिया
पर बताए सभी बातों का ध्यान रख कर ऐसा ही करे..फिर आप सब बातों को ठान ले और अपने सुविधा अनुसार ध्यान के लिए बैठ जाए. आप अपने अनुसार आसन तय कर ले की आपको किस आसन में बैठना है? यहाँ मैं योगासन कि बात कह रही हूँ सूखासन, सिद्धासन या अर्ध सिद्धासन में बैठना है। अगर आपको निचे बैठने में तकलीफ हैं तो आप खुर्सी या किसी नरम तकिया पर बैठ सकते हैं अपने सुविधा अनुसार। पर आप अगर निचे बैठ कर ध्यान करना चाहते हैं तो आपको मैं सिद्धासन या अर्ध सिद्धासन मे ही बैठने के लिए कहूँगी इस से ध्यान जल्दी घटीत होता है और कुण्डलिनी शक्ति भी बहुत जल्द जागरुक होती है। कुण्डलिनी शक्ति क्या हैं ? इसे मैं अगले लेख में विस्तार से बताऊंगी। उसके बाद आप वही बैठे बैठे प्राणायाम, और भास्त्रिका 5 मि. तक करे और 10 बार दीर्घश्वासन करे और फिर थोड़ा शांत हो जाए. फिर आँखों पर कपड़े की पट्टी बाँध ले और पीठ को सीधा कर के बैठ जाए। अगर आपका बी.पी. लौ रहता हैं तो आप भस्त्रिका न करें।केवल प्राणायाम और दीर्घश्वासन ही करें। और धीरे धीरे बाहर के शोरगूल पर पहले ध्यान दे, बारीक से बारीक आवाज़ों को सुनने की कोशिश करे. ऐसा 2-3 दिन करे. आप देखेंगे की आपका बारीक से बारीक बातों पर ध्यान केंद्रित हो रहा है। शुरुवती दौर मे आप 20 मि. बैठने के लिए खुद को तैय्यार करे। आप इस प्रक्रिया के बाद धीरे धीरे अपने शरीर पर ध्यान दे की कहा आपकी प्राण शक्ति महसूस हो रही है।
आपको बता दू की कहीं अगर आपको शरीर मे दर्द और तकलीफ होगी तो सबसे पहले प्राण शक्ति वही पे काम करती है इसलिए आपको पीड़ा भी हो सकती है पर आप निश्चिंत होकर बैठे रहिएगा चाहे कुछ भी हो आपको उठना नहीं है, एक दिन आप देखेंगे की आपके अंदर जो भी दर्द या तकलीफ थी आप स्वस्थ हो रहे है। इस क्रिया के बाद आप धीरे धीरे अपने भीतर मुड़ने की कोशिश करे। एक ऐसी सोच तैय्यार करे की आप भीतर के और मूड रहे है और मैं सूक्ष्म रूप को पहचान पा रहा हूँ। अगर आपकी सोचने की क्षमता अच्छी हैं तो आपका ध्यान जल्दी घटित होगा। और आपको आपना सारा केंद्र सबसे पहले अपने पृथ्वी तत्त्व मतलब मूलाधार चक्र पर ध्यान दे। मूलाधार चक्र मतलब कि हमारे शरीर में सूक्ष्म शरीर को कहते हैं ये सिर्फ ध्यान के माध्यम से ही देख सकते ये मूलाधार चक्र हमारे शरीर के सबसे निचले भाग यानी कि लिंग और गुदा के बींच मे स्तीत होता हैं ध्यान की क्रिया वही से शुरू होती है। ये मूलाधार चक्र क्या हैं ? ये आपको कुण्डलिनी जागरण के विषय में विस्तार से बताऊंगी। आप बस आपना सारा ध्यान वही केंद्रीत करें। लोग सीधा आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाते है वो दरअसल ग़लत है। क्यूँकि फिर वो ध्यान है ही नही बस आप झूठ मे जी रहे होंगे। इस क्रिया को धीरे धीरे मार्ग से चलना पड़ता है यदि आप सीधा तिसरी आँख मतलब की आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएँगे तो इसके परिणाम बहुत भयानक भी हो सकते है. और ये तिसरी आँख हमारे दोनो भुवों के बींच माथे पर ऊपर नींचे कही भी हो सकती हैं और ऐसे मे फिर आपको वही इंसान ही इस मुसीबत से निकल सकता है जिसे इस विषय मे ज्ञान हो अथवा सिद्ध हो। ईसलिए मैं आपको पूर्ण विधान और अपने अनुभव और अपने ज्ञान से आपको बता रही हूँ ...यदि आप इस तरह ध्यान करेंगे तो आप देखेंगे की बहुत कुछ बदला है आपके अंदर।
शुरूवाती दीनो मे आपको ऐसा लगेगा की कुछ भी तो नही हो रहा है? ऐसा नही है पर आपको पता नही है की बहुत कुछ घटित हो रहा है आपमे, ये आप कुछ दीनो बाद महसूस करेंगे। जहा आपका ध्यान लगता नही था आप देखेंगे की अब आपका ध्यान लगने लगा है आप अंदर बहुत आनंदित और शांत महसूस करेंगे। पर चाहे कुछ भी हो आपको ध्यान बीच मे छोडना नहीं है करते रहना है चाहे परिस्थिती कैसी भी हो। अगर आपका ध्यान समय किसी कारण वश चूक जाता है तो जब भी दिन भर मे आपको समय मिले तो आवश्य ही ध्यान करे। क्यूँकि इसकी एक लय और उर्जा होती है जो समय पर ही अपने अंदर क्रिया करती रहती है। अगर दिन भर मे कही समय ना मिले तो रात को सोने से पहले ज़रूर ध्यान कर ले इससे आपको नींद भी अच्छेसे आएँगी और ध्यान भी हो जाएगा।
आपको बता दू की कहीं अगर आपको शरीर मे दर्द और तकलीफ होगी तो सबसे पहले प्राण शक्ति वही पे काम करती है इसलिए आपको पीड़ा भी हो सकती है पर आप निश्चिंत होकर बैठे रहिएगा चाहे कुछ भी हो आपको उठना नहीं है, एक दिन आप देखेंगे की आपके अंदर जो भी दर्द या तकलीफ थी आप स्वस्थ हो रहे है। इस क्रिया के बाद आप धीरे धीरे अपने भीतर मुड़ने की कोशिश करे। एक ऐसी सोच तैय्यार करे की आप भीतर के और मूड रहे है और मैं सूक्ष्म रूप को पहचान पा रहा हूँ। अगर आपकी सोचने की क्षमता अच्छी हैं तो आपका ध्यान जल्दी घटित होगा। और आपको आपना सारा केंद्र सबसे पहले अपने पृथ्वी तत्त्व मतलब मूलाधार चक्र पर ध्यान दे। मूलाधार चक्र मतलब कि हमारे शरीर में सूक्ष्म शरीर को कहते हैं ये सिर्फ ध्यान के माध्यम से ही देख सकते ये मूलाधार चक्र हमारे शरीर के सबसे निचले भाग यानी कि लिंग और गुदा के बींच मे स्तीत होता हैं ध्यान की क्रिया वही से शुरू होती है। ये मूलाधार चक्र क्या हैं ? ये आपको कुण्डलिनी जागरण के विषय में विस्तार से बताऊंगी। आप बस आपना सारा ध्यान वही केंद्रीत करें। लोग सीधा आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाते है वो दरअसल ग़लत है। क्यूँकि फिर वो ध्यान है ही नही बस आप झूठ मे जी रहे होंगे। इस क्रिया को धीरे धीरे मार्ग से चलना पड़ता है यदि आप सीधा तिसरी आँख मतलब की आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएँगे तो इसके परिणाम बहुत भयानक भी हो सकते है. और ये तिसरी आँख हमारे दोनो भुवों के बींच माथे पर ऊपर नींचे कही भी हो सकती हैं और ऐसे मे फिर आपको वही इंसान ही इस मुसीबत से निकल सकता है जिसे इस विषय मे ज्ञान हो अथवा सिद्ध हो। ईसलिए मैं आपको पूर्ण विधान और अपने अनुभव और अपने ज्ञान से आपको बता रही हूँ ...यदि आप इस तरह ध्यान करेंगे तो आप देखेंगे की बहुत कुछ बदला है आपके अंदर।
शुरूवाती दीनो मे आपको ऐसा लगेगा की कुछ भी तो नही हो रहा है? ऐसा नही है पर आपको पता नही है की बहुत कुछ घटित हो रहा है आपमे, ये आप कुछ दीनो बाद महसूस करेंगे। जहा आपका ध्यान लगता नही था आप देखेंगे की अब आपका ध्यान लगने लगा है आप अंदर बहुत आनंदित और शांत महसूस करेंगे। पर चाहे कुछ भी हो आपको ध्यान बीच मे छोडना नहीं है करते रहना है चाहे परिस्थिती कैसी भी हो। अगर आपका ध्यान समय किसी कारण वश चूक जाता है तो जब भी दिन भर मे आपको समय मिले तो आवश्य ही ध्यान करे। क्यूँकि इसकी एक लय और उर्जा होती है जो समय पर ही अपने अंदर क्रिया करती रहती है। अगर दिन भर मे कही समय ना मिले तो रात को सोने से पहले ज़रूर ध्यान कर ले इससे आपको नींद भी अच्छेसे आएँगी और ध्यान भी हो जाएगा।
अगर आप इन सभी बातों का ध्यान रखेंगे तो आप एक दिन अपने मंज़िल तक पहुच जाएँगे। आप बस धैर्य बनाए अपने आप और अपने गुरु, ईष्टदेवता पर विश्वास रखिए। उनकी कृपा हुई तो उस दिन आपका जीवन बदलने मे देर नही लगेगी। बस आप मेहनत करे लेश मात्र भी संशय ना करे। और ये सोचते रहिए की आपका ध्यान घटीत हो रहा है। पर किसी से इस बात का ज़िक्र ना करे इस बात को अपने तक सिमित ही रखे। आपको बता दू की कभी भी कही भी पढ़ कर या सुन कर इस क्रिया को ना करे। पहले किसी गुरु से दीक्षित हो या कोई क्लास लगा ले. अगर आप इस क्षेत्र मे कदम रखना चाहते है तो पहले आप इस विषय पर अभ्यास करे। मेरे भी अगर आपको लेख मे कोई बात पर शक है तो आप अपने अनुसार ध्यान कर सकते है। ध्यान करने की ज़िम्मेदारी आप पर निर्भर है। मैं मात्र यहाँ सिर्फ़ अपने ज्ञान और अनुभव से प्रेरित कर आपको मार्गदर्शन कर रही हूँ।
आशा है की मैंने आपको पूर्ण जानकारी दी और आपको पता चल गया की ध्यान कैसे करते है किन किन बातों का ख़याल रखना होता है और भी बहुत कुछ है। पर अब मैं अगले लेख मे ये बताने की कोशिश करूँगी की कितने ध्यान के फायदे होते है. जिससे आप भी निश्चय कर सके की आपको भी ध्यान करना है। विश्वास रखिए आपका जीवन आनंद से भर जाएगा। अगर आपको मेरी लेख अच्छी लगी हो तो आप मेरे साथ जुड़े रहिए मैं आपको बहुत महत्व पूर्ण ज्ञान से परिचित करवाऊंगी। आपका जीवन आनंद मय रहे इसके लिए मैं आपको हमेशा सहयता करूँगी। तो आनंदित रहिए स्वस्थ रहिए तब तक ध्यान करने की कोशिश करिए।अब मैं अपने वाणी को विराम और आपके किंमती समय को प्रणाम करते हुए आपसे फिरसे मिलने की ईच्छा रखती हूँ, मिलते है अगली लेख पर तब तक ध्यान करने की कोशिश कीजिये आप अपना और अपनो का ख़याल रखे आनंदित रहिए।आप सभी पर प्रभु की कृपा हो आपके घर में बरकत रहें और आपका जीवन आबाद रहें।
आशा है की मैंने आपको पूर्ण जानकारी दी और आपको पता चल गया की ध्यान कैसे करते है किन किन बातों का ख़याल रखना होता है और भी बहुत कुछ है। पर अब मैं अगले लेख मे ये बताने की कोशिश करूँगी की कितने ध्यान के फायदे होते है. जिससे आप भी निश्चय कर सके की आपको भी ध्यान करना है। विश्वास रखिए आपका जीवन आनंद से भर जाएगा। अगर आपको मेरी लेख अच्छी लगी हो तो आप मेरे साथ जुड़े रहिए मैं आपको बहुत महत्व पूर्ण ज्ञान से परिचित करवाऊंगी। आपका जीवन आनंद मय रहे इसके लिए मैं आपको हमेशा सहयता करूँगी। तो आनंदित रहिए स्वस्थ रहिए तब तक ध्यान करने की कोशिश करिए।अब मैं अपने वाणी को विराम और आपके किंमती समय को प्रणाम करते हुए आपसे फिरसे मिलने की ईच्छा रखती हूँ, मिलते है अगली लेख पर तब तक ध्यान करने की कोशिश कीजिये आप अपना और अपनो का ख़याल रखे आनंदित रहिए।आप सभी पर प्रभु की कृपा हो आपके घर में बरकत रहें और आपका जीवन आबाद रहें।
कृपया यहाँ संदेश खाते में कोई भी किसी भी किस्म की लिंक या आलोचात्मक शब्द्द या गलत संदेश ना डाले , नियम ना मानने पर आपके खिलाफ करवाई की जाएगी और आपका गूगल खाता बंद कर दिया जाएगा।