आपका बहुत बहुत स्वागत हैं मेरे आध्यात्मिक जगत के लेख में।आप जो इतने प्यारसे और अपना कीमती समय निकलकर मेरे इस लेख पर रुकते हैं ये मेरे लिए आपका सम्मान और प्यार हैं जिसके लिए मैं दिल से धन्यवाद् करती हु और मैं आपसे वादा करती हूँ की आपकी ऐसे ही मैं अपने ज्ञान और अनुभव से आपके जीवन का अंधकार दूर करने की कोशिश करुँगी।आपका प्यार और साथ हमेशा मेरे साथ बनाये रखिये आप मेरे साथ जुड़े रहिये और अपनी समस्या का निवारण लेते रहिये। मुझे विश्वास हैं की आप कुशल मंगल होंगे भगवान आप पर और आपके अपनों पर प्रेम ,आशीर्वाद और कृपा बरसाएं। आज मैं आपके लिए एक और नया विषय लेकर आयी हूँ जो मूलाधार चक्र से सम्बंधित हैं पिछले लेख में हमने इस चक्र का वर्णन और मूलाधार चक्र के फायदे नुकसान जाने थे और भी बहुत कुछ जाना था। आज मूलाधार चक्र को जगाने की विविध प्रकार के उपाय जानेंगे और ये भी की क्या कौनसी ऐसे बातें हैं जो मूलाधार चक्र को जगाने में और संतुलन रखने के लिए मददगार होती हैं। मूलाधार चक्र को जगाने की विविध प्रकार के उपाय .
मूलाधार चक्र जगाने के लिए पदार्थ का सेवन
मूलाधार चक्र जगाने के लिए आप लाल और काले पदार्थ खा सकते हैं ,जैसे की टमाटर ,अनार ,स्ट्रॉबेरी ,लाल अंगूर, काले अंगूर ,लाल प्याज़ ,सेब ,आलूबालू फल (चेरी) ,लाल शिमला मिर्च ,चुकंदर (बीट्स ) ,मूली ,क्रैनबेरी ,मटकी ,कुलथी, ईमली ,कोकम ,काले तिल अज्वाइन।
मूलाधार चक्र जगाने के लिए आवश्यक तेल
देवदार तेल (सिदरवूड ), कामलता (सीप्रेस ), चंदन (सैंडल वूड़ ), सुगंधरा (पचौली ), ख़सख़स (वेटीवर), लोहबान (म्यररह, फ्रंकिंसन्स ), हापुषा (जुनिपर ) ,एंजेलिका (एंजेलिका रुट ) ,कपाइब (कपैबा ) ,काली मिर्च (ब्लैक पीपर ), काले स्प्रूस (ब्लैक स्प्रूस ) . मूलाधार चक्र को जागरूक ही नहीं अपितु सूए संतुलन में भी बनाये रखते है ये तेल इन्हे आप अत्तर, मालिश तेल, शैम्पू या किसी भी बाहिरी वस्तु में इनके रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
तामडा (ब्लडस्टोन ) ,सूर्यकांतमणि ,माणिक्य (रेड जेस्पर ) ,रक्तमणि (गार्नेट ) ,काला तुरमली (ब्लैक टोउरमलीन ) ,हेमटिट (हेमटिट ) ,काला हकिक (ब्लैक हकिक ) ,रूबी ,काला ओब्सीडियन ( ब्लैक ओब्सीडियन ) ,काली डायोप्साइड (ब्लैक डायोप्साइड ) ,गोमेदक (सरडॉनिक्स ) ,डालमेशन जैस्पर (डालमेशन जैस्पर ) ,शुंगीत पिरामिड (शुंगीत पिरामिड ). आप इन्हे अच्छे किसी एस्ट्रोलॉजर के सहायता से अपनी कुंडली दिखा के इन क्रिस्टल्स मणि को गले या उँगलियों में धारण कर सकते हैं।
तो यह थी जानकारी मुझे विश्वास हैं की आपको इस लेख में बहुत सारी जानकारी प्राप्त हुई हैं। आप आपकी क्या राय है इस विषय पर आप जरुर नीचे कमैंट्स बॉक्स में बतायें और आप क्या जानना चाहते है ये भी बताये ख़ुशी होगी ये जानकर की आप इस विषय में रूचि रखते है। अगले लेख में और भी ज्ञान को आपके साथ साँझा करुँगी उस लेख में हम मूलाधार चक्र को जगाने और संतुलन रखने के लिए कोनसे योगासन और मुद्रायें हैं वो जानेंगे। गुरु शिष्य से क्या कहते है आप यहाँ गुरुवाणी में जान सकते हैं। अब मैं अपने वाणी को विराम और आपके कीमती समय को प्रणाम करते हुए फिर आपसे मिलने की आज्ञा चाहती हूँ ,तब तक आप अपना और अपनों का ख्याल रखे मिलती हूँ अगले लेख में तब तक आप भी ध्यान कीजिये और आनंद में रहिये।आप सभी पर प्रभु की कृपा हो आपके घर में बरकत रहे और आपका जीवन आबाद रहें।
🙏जय गुरुदेव ,हर- हर महादेव🙏
कृपया यहाँ संदेश खाते में कोई भी किसी भी किस्म की लिंक या आलोचात्मक शब्द्द या गलत संदेश ना डाले , नियम ना मानने पर आपके खिलाफ करवाई की जाएगी और आपका गूगल खाता बंद कर दिया जाएगा।