आपका एक बार फिर स्वागत है मेरे अध्यात्मिक जगत के लेख में। आशा करती हूँ आप सब स्वस्थ और कुशल होंगे। हमने एक लेख में जाना था कि ध्यान कैसे करते हैं और क्या क्या सावधानी बरतनी पडती हैं पर आज हम जानेंगे कि ध्यान करने के कितने फ़ायदे हैं. जैसे कि मैंने कहाँ था कि हम ध्यान के क्या फायदे होते हैं आज वही ज्ञान लेकर आपके सामने प्रस्तुत हूँ .
शारीरिक
और भी बहुत कुछ हैं जो हम ध्यान से कर सकते हैं सिर्फ बीमारीयां ही नहीं बल्कि हर परेशानियों का तोड़ हैं ध्यान । सोचिए की कितने ध्यान के फायदे हैं करने के और न करने के कितने नुकसान। ये ऊपर जो कुछ भी बताया हैं आपको यह तो बस एक छोटीसी जानकारी हैं पर अगर आप खुद ध्यान करना शुरू कर देंगे तो आप खुदबोखुद जान जाओगे। ज़रा सोचिये की पॅरेलाइज़्ड और कैंसर जैसी बीमारी अगर ठीक हो सकती हैं तो फिर छोटे छोटे बीमारियाँ क्यों नहीं ? फिर अब आप क्या सोच रहे हैं की ध्यान करें या न करें ? मुझे अच्छा लगेगा ये जानकर की आप ध्यान करना चाहोगे अगर इतने फायदे हैं तो भला कोई क्यों न करें ? जानती हूँ की मैं बस आपको ध्यान करना या उसके फायदे बता रही हूँ पर वो बात हैं न की जब तक हम खुद अनुभव नहीं कर लेते तब तक हमें विश्वास नहीं होता। इसलिए मैं आपको इतना ज़ोर देकर कह रहीं हूँ की ध्यान कीजिए मैं बस आप सभी को आनंदित और स्वस्थ देखना चाहती हूँ। मेरा यही लक्ष्य हैं की मैं हर एक व्यक्ति के अंदर ज्ञान का प्रकाश डालू ताकी कोई भी आपका फायदा न उठाये अगर मेरी इस जानकारी से आपका या दूसरों का भला होता हैं तो खुद को सौभाग्यशाली समझूंगी की मैं किसी एक की जिंदगी तो सवार पाई।
ध्यान सिर्फ हमें आध्यात्मिक से ही नहीं अपितु शारीरिक, मानसिक, ऊर्जा, बुद्धि, को भी फायदे पहूचातें हैं और अपने आसपास वातावरण में भी एक बदल घटते हुए दीखता हैं और इनके किसको कितने फायदे हैं ये हम जानेंगे।
शारीरिक
- शारीरिक समस्या चाहे कितनी भी बडी हो ध्यान करने से हमें एक सकारात्मक शक्ती प्राप्त होती हैं जिससे कि हम हमारी बडे बडे रोगो को सुधार सकते हैं जैसे की..
- बुखार, ब्लड प्रेशर, कमजोरी, थायोरॉईड,आँखों की समस्या, महिलाओं के मासिक धर्म, अल्सर, ऍसिडिटी, मोटापा, दुबलापन, बालों का झड़ना, गंजापन, खून की कमी, बवासीर, और यही नहीं बल्कि ब्रैन टूमओर, कैंसर, स्नायु की समस्या ,सूजन, गाँठें, नसों की समस्या और भी बहुत कुछ इन सबको बहुत हद तक काम या खत्म किया जा सकता हैं।
- ऐसा देखा गया हैं की जिनको बोलने की समस्या हो वो भी अगर ध्यान करें तो समस्या खत्म होती हैं जैसे की अस्पस्ट बोलना, गूंगापन, हकलापन,कंठ की कोई भी समस्या हो वो सारे संभव हैं सुधरने की।
- भुख न लगना या फिर अति भुख लगना, या भुख अनियंत्रित रहना, वात, पित्त, कफ याने त्रिदोष की भी अगर समस्या हैं तो वह भी संतुलन होना शुरू हो जाते हैं।
- यहाँ तक देखा गया हैं की अगर कोई इंसान पॉरेलाइज़्ड हैं तो वो भी ध्यान से ठीक हो सकता हैं।
मानसिक और बुद्धि
- अनिद्रा माइग्रेन में रहत मिलना, डर पर काबू होना, आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होना, चिंता न सताना , मानसिक बुद्धि स्वतः होना थकावट हद से काम होना बुरे सपनों का आना कई हद तक बंद होना , मन आनंदित और स्वस्थ सा रहना, काम मेंपूर्ण रूप से रूचि बढ़ जाना, लक्ष्य को पूरा करना, किसी बात पर टिके रहना, उतावलापन दूर होना, याद्दाश्त तेज होना।
- अति भाऊक न होना, सहीं निर्णय ले पाना, किसी के सामने खुद को ठीक से प्रस्तुत कर पाना।
- अधूरापन सा महसूस न करना, प्रेम की प्राप्ति होना, अकेलापन में भी आनंदी रहना , आनंदी रहना, प्रबल मानसिकता होना, सही गलत का फर्क पहचान पाना।
- डिमेंशिया, ओ.सी.डी; स्किज़ोफ्रेनिआ, भ्रम, उन्मत्तपन या पागलपन या दूर होना।
- मानसिक समस्या चाहें कितनी भी पुराणी हो या बड़ी हो कोई फर्क नहीं पड़ता पर ध्यान लगाने से इन सारी बातों की बढ़ोत्तरी होती हैं और अगर कोई गंभीर समस्याएँ भी हैं तो वो भी ठीक हो जाते हैं।
- ध्यान मष्तिस्क की तरंगों को अल्फ़ा स्तर पर ले जाती हैं जिससे दिमाग पहलेसे शांत ,कोमल, स्वस्थ और स्तिर हो जाता हैं।
ऊर्जा और अध्यात्म
- आसपास बुरी शक्तियों का महसूस होना यह भावना मन में नहीं आती। सकारात्मक सोच में बढ़ोत्तरी होना।
- जीवन में आए दिन मुसीबतों का आना काम होता हैं, मन प्रसन्न सा रहना और हर जगह कामियाबीयों का जीवन में प्रवेश होता हैं।
- पूजापाठ में मन लगना, नकारात्मक विचार काम रहना, बीमारी से दूर रहना।
- कोई भी काम ठीक से होना या देजल्दी से होना या फिर पूर्ण होना ।
- अपने मन से जुड़ पाना शारीरिक, मानसिक, विचारिक का थकावट दूर होना।
- मन बुद्धि में ठीक से भेद कर पाना, रिश्तों का बन पाना, रिश्तों में चाहें किसी भी प्रकार की समस्या हो सुलझा पाना, सुरक्षा महसूस कर पाना।
- पैसे की तंगी हो या नौकरी की समस्या खत्म होना या दूर होना , पढाई में मन लगना हो या फिर रिश्तों की सूलझन, मानसम्मान की प्राप्ति हो या जीवन का लक्ष्य हो इन सारी बातों की प्राप्ति ध्यान में हैं।
- आप ध्यान कर के अपनी ऊर्जा को सही तरीके से उच्च स्तर पे बढ़ा सकते हैं और इन सारी खुशियों को प्राप्त कर सकते हैं।
मेरा मकसद अंधश्रद्धा फैलाना नहीं हैं बल्कि आपके अचेतन मन को जागरूक करना हैं और आपको सही दिशा दिखाना मेरा कर्तव्य हैं। जो कुछ भी मुझे प्राप्त हुआ हैं उसका मैं क्या करुँगी अपने साथ रखकर उसे तो बाटने में जो आनंद मैं महसूस करती हूँ वो किसी चीज़ में नहीं महसूस करती।आपके लिए कोई हो न हो पर आपको खुदको अपना बनके रहना हैं दुनिया से हम लड़ सकते पर खुद से लढ कर दिखाईए तो मानूंगी आपको की वाकई में आप उस परम शक्ति को पाने के लायक हैं। उसके लिए बाहर भगवान को ढूँढना ज़रूरी नहीं अपने अंदर झाँखों और सुनो अपने आत्मा की आवाज़ को की वो क्या चाहती हैं ? अगर वो प्रेम चाहती हैं तो थोड़ा समय खुद को दीजिये बातें कीजिये खुद से प्यार दीजिये खुद को और फिर सोचिये क्या आपको सच में किसी के प्रेम की आवश्यकता हैं ? यह दुनियाँ की कड़वी सच्चाई हैं की हम इस दुनियाँ में अकेले आये थे आये हैं और आते रहेंगे और हम अकेले ही रहेंगे। जब हम ये जानते हैं की हमें समझने वाला सिर्फ हम खुद ही हैं और हमारा भगवन हैं। इसके सिवा और कोई नहीं हैं। जितना जल्दी हो सकें तो आप इस सच्चाई को अपने मन के भीतर स्तिर कर दीजिये इससे आपका मोह भी ख़तम हो जाएगा और आप असली प्रेम को जान पाओगे।यहाँ मैं खुद को प्रेम करने के साथ साथ दूसरों को भी समझने की बात कर रही हूँ जैसे की हम हमारे लिए सोचते हैं वही दूसरों के लिए भी अच्छा और उत्तम ही सोचिये फिर आपका भला ही होगा।
अब मैं अपने वाणी को विराम और आपके किंमती समय को प्रणाम करते हुए आपसे फिर मिलने की इच्छा रखती हूँ। आप हमेशा आनंदित और स्वस्थ रहें और अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करें यहीं आपसे उम्मीद और भगवान से प्रार्थना हैं।आप अपना और आपनो का ख्याल रखे और तब तक ध्यान कीजिये आपको मिलती हूँ अगले लेख में एक नए विषय के साथ।आप सभी पर प्रभु की कृपा हो आपके घर में बरकत रहें और आपका जीवन आबाद रहें।
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